महाबोधी महाविहार का बोध गया टेंपल एक्ट १९४९ को रद्द किया जावे - Madhya Stambh

महाबोधी महाविहार का बोध गया टेंपल एक्ट १९४९ को रद्द किया जावे

               गया, बिहार में महाबोधी महाविहार बौद्धों का पवित्र स्थल है, जिसे सम्राट अशोक ने और गुप्त काल में भी बनवाया गया था, क्योंकि उस स्थान पर तथागत गौतम बुद्ध को सम्म्यक ज्ञान की प्राप्ति हुई थी ।  उस स्थल पर बाद में महंत गिरी सवर्ण समुदाय ने कब्जा किया, बौद्धों से विवाद, लंबा संघर्ष हुआ ।  देश आजादी से पहले बौद्धों को आश्वासन दिया गया की अंग्रेजो की अधीनता से आजादी के बाद विचार करके संवैधानिक रूप से महाबोधी महाविहार का प्रबंधन बौद्धों को सौप दिया जावेगा। लेकिन वैसा नही हुआ और १९४९ को बि. टी. एक्ट को संविधान लागू होने से पहले ही पारित कर दिया गया । जिसके द्वारा महाबोधी महाविहार का संपूर्ण प्रबंधन महंत गिरी सवर्ण समुदाय को प्रदान कर दिया गया, हालांकि उस एक्ट में चार बौद्ध सदस्य भी समिति में शामिल किया गया, लेकिन अन्य चार सदस्य सवर्ण अबौद्ध और एक सवर्ण कलेक्टर भी समिति में शामिल किया गया जिसके कारण बहुमत और नियंत्रण, प्रबंधन महंत गिरी सवर्ण के अधिकार में आ गया ।

वर्तमान अवधि में बौद्धों की आबादी अधिक हो गई है, बि.टी. एक्ट समिति द्वारा बौद्धों की विरासत और धम्म का समर्थन तथा प्रचार प्रसार पर प्रमुखता नही दिया जा रहा है बल्कि अन्य धार्मिकता के कर्मकांड को वहा अपनाया जा रहा है तथा बौद्धों की धार्मिकता को भी कम कर प्रभावित किया जा रहा है । इसलिए फरवरी २०२५ से बि. टी. एक्ट १९४९ को रद्द करने गया में धरना प्रदर्शन, आंदोलन लगातार किया जा रहा है, देश भर में उस बारे में शांतिपूर्ण धरना आंदोलन किया जा रहा इसी कड़ी में २५-०७-२०२५ को जंतर मंतर नई दिल्ली में संवैधानिक अधिकार के लिए बौद्ध अनुयाई जनसमुदाय तथा अन्य लोगो ने एकत्रित होकर बि.टी.एक्ट को रद्द किए जाने की मांग किया तथा वहा धरना प्रदर्शन करके महाबोधी महाविहार का प्रबंधन बौद्धों को पूर्णतः सौप दीए जाने के बारे में अपने विचार और बाते रखी ।

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